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जल बुझे सब ख्वाब मेरे......

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.............. सफ़र तो मेरा शुरु हुआ था , जीवन की तरुनाई थी ! अम्मा- बापू के सपनों को , सच करने की ऋत आई थी ! छुटकी के भी थे कुछ सपने , जो मुझको ही सच करने थे! अधबुने कुछ ख्वाब थे मेरे , वो भी पूरे बुनने थे! जल बुझे सब ख्वाब मेरे...... इंसानियत को तार - तार कर , सिसकियों को दर किनार कर, दरिंदगी के जिंदियों ने , आबरू पे जब हाथ फेरे. जल बुझे सब ख्वाब मेरे.... दरिंदगी के चंगुलो में , मैं जो बेबस हो फसी थी अधमरी सी हो गई मैं , जिस्म मेरा नोच डाला ! अश्रुओं की धार से , रूह की चीत्कार से , जो ना पिघले वो दरिंदे,मुझको ही फिर मार डाला ! दर्द कैसे हो बयां अब , मौत भी क्यों मर रही थी? जिस्म मेरा जल चुका था ,रूह मेरी जल रही थी .... जल बुझे सब .... जल बुझे सब ख्वाब मेरे ..........!!!! °~~~~~~~~~~~~~~~°

मै तुझको ही भुलाता हूं , तुझी को याद करता हूं.......

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मै  तुझको ही भुलाता हूं .... मै तुझको ही भुलाता हूं ,  तुझी को याद करता हूं । अगर तेरी इजाज़त हो ,  तो फिर आगाज़ करता हूं , भले ख़ुद को ना जानो तुम ,  मुझे बस जान लो ' जाना ' । मै तुमको ख़ुद में जानूंगा , यही बस मान लो ' जाना। ' । सपन में तेरा आना भी ,  मुझे अब रास आता है । नहीं भाता मुझे बिल्कुल,  तेरा आकर चले जाना । मै तुझको ही भुलाता हूं ,  तुझी को याद करता हूं । अगर तेरी इजाज़त हो ,  तो फिर आगाज़ करता हूं , तुम्हारे दिल की हद , तो अब ,हमारे कद से ऊंची है, अगर चाहो की तुम देखो?,  कभी दिल - द्वार तुम आना। यहां मै भ्रमर , कुमुदिनी पर,  विहंगम नृत्य करता हूं, तेरी उस प्रेम की खुशबू ,  पे जीता और मरता हूं। मै तुझको ही भुलाता हूं ,  तुझी को याद करता हूं । अगर तेरी इजाज़त हो ,  तो फिर आगाज़ करता हूं , ज़रा सुन लो ,रज़ा आख़िर , मै तेरा प्यार हो जाऊं। तू मेरा यार हो जाए ,  मै तेरा यार हो जाऊं।। ~~~~××~~~~