खुद पे यकीं ...
उड़ चल कहीं ,तू बढ़ चल वहीं.
खुद रब से कर ले अरदास अब
मंजिल है तेरे पास अब।
तू जो है अब हारा थका,
तेरे दर्द था ,फिर भी तू ना रुका.,
खुद पे यकीं
तू कर ले अभी
उड़ चल कहीं
तू बढ़ चल वहीं.
रुकना नही
तू झुकना नही
बढ़ करके आगे
तू पीछे हटना नहीं
तुझमें है पाने की आग अब
क्यूँ है उनींदा सा जाग अब
है तेरी मंजिल बेकरार वो
कर रही तेरा इन्तज़ार वो.,
खुद पे यकीं
तू कर ले अभी
उड़ चल कहीं
तू बढ़ चल वहीं..।
अजब ये राह है
गजब ये जहां
पा जाएगा तू अब
मंजिल है यहाँ.
करना नहीं अभी
इनकार तू..
हो जा अभी सिर्फ,तैयार तू
करले यकीं ,मेरे यार तू
बाजुएं है तेरी
फड़कती बड़ी
दिखा अपनी ताकत,
जहां को अभी
हो जाएगी कायल
कायनात भी....।
खुद पे यकीं
तू कर ले अभी
उड़ चल कहीं
तू बढ़ चल वहीं.
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