ऊपर वाले का पैगाम ......

ऊपर वाले का पैगाम...

ऐ जिन्दगी के मुसाफिर ......
लेता जा मेरी रहमत ,
तू खुद का है मौला
तुझमें है तेरी किस्मत.
बढ़ता रहे तू आगे,
ऐसी होगी सबकी मन्नत.
होगी तेरी पैदाइश 
वह दुनिया तेरी होगी,
वालिद तेरा होगा 
मां भी तेरी होगी.
मोहब्बत का जहां होगा
यादों का निशां होगा ,
पहले मां-बाप से
फिर खुद का पता होगा.
मिलूं या ना मिलूं तुझे 
वहाँ रोशनी मेरी होगी,
कुछ करना नया हर पल
जिससे तारीफ तेरी होगी.
मैं तो कुछ भी नही
मां-बाप तेरे खुदा होंगे,
प्यार  देना असीम 
नहीं वे तुझसे जुदा होंगे.
ग़र मिले कोई भटका 
राह उसे दिखाना,
दुवाएँ देगा हजारों
जब पा जाएगा ठिकाना.
जीवन है मुश्किलों से भरा
हौसलों के बल लड़ना सिखाना,
गिरे व्यक्ति को उठाकर
चलना सिखाना.
चुनना नये रास्ते 
मुश्किलें जहाँ हजारों होंगी,
बनाना दुसरों के लिए सुगम 
मंजिलें जहाँ हजारों होंगी.
करके तू ऐसा
 जन्नत पा ही जाएगा ,
मरने के बाद
तू चहेतों को याद आएगा.
होगा अगर पैसा 
तो श्रद्धान्जलि सभा बुला लेंगे,
नही तो 1₹ वाली कैंडल
तेरी फोटो के सामने जला देंगे..
After death....
ऐ जिन्दगी के मुसाफिर ......
तुझपे थी मेरी रहमत ,
तू खुद का था मौला
तुझमें थी तेरी किस्मत.




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